- Back to Home »
- Aliens News , Hindi »
- इसरो का दावा एलियन के निशान मिल गए
Posted by : Raj Kumar
शनिवार, 9 जनवरी 2016
मिल गये इसरो को एलियन के निशान वाकई: इसरो को मिल गए एलियन के निशान नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों को एलिय न के निशान मिले हैं। धरती से दूर आसमान में वैज्ञानिकों को जो सुराग मिले हैं , उससे वैज्ञानिक हैरत में हैं। इसरो की ताजा रिसर्च ने ये साबित करने की कोशिश की है कि धरती के बाहर जो दुनिया है उसमें भी प्राणियों का वजू द है और ये एलियंस हो सकते हैं। ताजा रिसर्च के जरिए इसरो ने तीन बैक्टीरिया की खोज का दावा किया है।
ऐसे बैक्टीरिया जो धरती की सतह से 40 किलोमीटर ऊपर के वायुमंडल में पाए गए। ये तीनों बैक्टीरिया इस रो के भेजे गए एक बैलून ने खोज निकाले। ये बैक्टीरिया धरती की सतह से उस ऊंचाई पर पाए गए जहां इस तरह के अधिकतर जीवों की अल्ट्रावॉय लेट किरणों की वजह से मौत हो जाती है। लेकिन इन बैक्टीरिया के जीवित पाए जाने की वजह से अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी का दावा फिर से पुख्ता हुआ है। असल में इसरो ने कुछ बैलून आजाद छोड़ दिए। मकसद था धरती के बाहर की दुनिया का सुराग पाना।
ये बैलून हैदराबाद की नेशनल बैलून फैसिलिटी से भेजे गए। धरती से 20 से 40 किलोमीटर ऊपर ये बैलून गोता खाते रहे। बाद में इन बैलून के जमा किए गए नमूनों को टेस्ट के लिए भेजा गया। हैदराबाद के मॉलिक्युलर बायोलॉजी सेंटर में टेस्ट करने पर इन नमूनों में तीन तरह के बैक्टीरिया पाए गए और इनमें जीवन के निशान मिले जिनकी बाद में पुणे स्थित नेशनल सेंटर फार सेल साइंस ने पुष्टि की। यहीं से वैज्ञानिकों का दिमा ग ठनका। आखिर धरती से ऊपर बैक्टीरिया का वजूद कैसे संभव है ?
अल्ट्रावॉयलट रे की वजह से इतनी ऊंचाई पर बैक्टीरिया का होना तो नामुमकिन माना जाता है। फिर कहां से आ गए यहां बैक्टीरिया। इन्हीं सवालों ने एलियन के वजूद को फिर से दुनिया के सामने ला खड़ा किया। हालांकि इसरो ने इन तीनों बैक्टीरिया का नामकरण कर दिया है। पहले बैक्टीरिया का नाम इसरो के नाम पर बैसीलस इसरोनेसिस रखा गया है। जबकि दूसरे का नाम रखा गया आर्यभट्ट के नाम पर बैसीलस आर्यभट्ट। तीसरे बैक्टीरिया को जेनिफ र हॉएली के नाम से जाना जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर वही है कि ये बैक्टीरिया इतनी ऊंचाई पर पहुंचे कैसे। इसके जवाब में दो थ्योरी सामने आ रही हैं। पहला ये कि धरती के बाहर भी जीवन है और हो सकता है कि ये एलियन हों।
ऐसे बैक्टीरिया जो धरती की सतह से 40 किलोमीटर ऊपर के वायुमंडल में पाए गए। ये तीनों बैक्टीरिया इस रो के भेजे गए एक बैलून ने खोज निकाले। ये बैक्टीरिया धरती की सतह से उस ऊंचाई पर पाए गए जहां इस तरह के अधिकतर जीवों की अल्ट्रावॉय लेट किरणों की वजह से मौत हो जाती है। लेकिन इन बैक्टीरिया के जीवित पाए जाने की वजह से अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी का दावा फिर से पुख्ता हुआ है। असल में इसरो ने कुछ बैलून आजाद छोड़ दिए। मकसद था धरती के बाहर की दुनिया का सुराग पाना।
ये बैलून हैदराबाद की नेशनल बैलून फैसिलिटी से भेजे गए। धरती से 20 से 40 किलोमीटर ऊपर ये बैलून गोता खाते रहे। बाद में इन बैलून के जमा किए गए नमूनों को टेस्ट के लिए भेजा गया। हैदराबाद के मॉलिक्युलर बायोलॉजी सेंटर में टेस्ट करने पर इन नमूनों में तीन तरह के बैक्टीरिया पाए गए और इनमें जीवन के निशान मिले जिनकी बाद में पुणे स्थित नेशनल सेंटर फार सेल साइंस ने पुष्टि की। यहीं से वैज्ञानिकों का दिमा ग ठनका। आखिर धरती से ऊपर बैक्टीरिया का वजूद कैसे संभव है ?
अल्ट्रावॉयलट रे की वजह से इतनी ऊंचाई पर बैक्टीरिया का होना तो नामुमकिन माना जाता है। फिर कहां से आ गए यहां बैक्टीरिया। इन्हीं सवालों ने एलियन के वजूद को फिर से दुनिया के सामने ला खड़ा किया। हालांकि इसरो ने इन तीनों बैक्टीरिया का नामकरण कर दिया है। पहले बैक्टीरिया का नाम इसरो के नाम पर बैसीलस इसरोनेसिस रखा गया है। जबकि दूसरे का नाम रखा गया आर्यभट्ट के नाम पर बैसीलस आर्यभट्ट। तीसरे बैक्टीरिया को जेनिफ र हॉएली के नाम से जाना जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर वही है कि ये बैक्टीरिया इतनी ऊंचाई पर पहुंचे कैसे। इसके जवाब में दो थ्योरी सामने आ रही हैं। पहला ये कि धरती के बाहर भी जीवन है और हो सकता है कि ये एलियन हों।