Archive for जनवरी 2016

शनि के चंद्रमा पर मौजूद हैं एलियन

Jun 6, 2010 अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी नासा से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि के चंद्रमा पर एलियंस मौजूद हैं .

अपने शोध के दौरान इन वैज्ञानिकों को इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन पर जीव होने के पुख्ता प्रमाण हैं और अगर उन्हें उचित वातावरण मिले तो वे जीव पुन : अस्तित्व में आ सकते हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी नासा द्वारा भेजे गये कैसिनी यान द्वारा भेजे गये आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद अध्ययन दल के प्रमुख क्रिस मैके ने कहा है कि हमें वहां हाइड्रोजन गैस के पुख्ता प्रमाण दिखाई दे रहे हैं जो कि पृथ्वी पर मौजूद आक्सीजन के समतुल्य है .

उनका कहना है कि यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि वहां पर पानी आधारित जीवन की पूरी संभावना है . अध्ययन दल से जुड़े जान जेरेस्की का कहना है कि हमें पूरा विश्वास है

Does Aliens exist on Saturn's moon?

शनिवार, 9 जनवरी 2016
Posted by Raj Kumar

इसरो का दावा एलियन के निशान मिल गए

मिल गये इसरो को एलियन के निशान  वाकई: इसरो को मिल गए एलियन के निशान नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों को एलिय न के निशान मिले हैं। धरती से दूर आसमान में वैज्ञानिकों को जो सुराग मिले हैं , उससे वैज्ञानिक हैरत में हैं। इसरो की ताजा रिसर्च ने ये साबित करने की कोशिश की है कि धरती के बाहर जो दुनिया है उसमें भी प्राणियों का वजू द है और ये एलियंस हो सकते हैं। ताजा रिसर्च के जरिए इसरो ने तीन बैक्टीरिया की खोज का दावा किया है।

ऐसे बैक्टीरिया जो धरती की सतह से 40 किलोमीटर ऊपर के वायुमंडल में पाए गए। ये तीनों बैक्टीरिया इस रो के भेजे गए एक बैलून ने खोज निकाले। ये बैक्टीरिया धरती की सतह से उस ऊंचाई पर पाए गए जहां इस तरह के अधिकतर जीवों की अल्ट्रावॉय लेट किरणों की वजह से मौत हो जाती है। लेकिन इन बैक्टीरिया के जीवित पाए जाने की वजह से अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी का दावा फिर से पुख्ता हुआ है। असल में इसरो ने कुछ बैलून आजाद छोड़ दिए। मकसद था धरती के बाहर की दुनिया का सुराग पाना।

 ये बैलून हैदराबाद की नेशनल बैलून फैसिलिटी से भेजे गए। धरती से 20 से 40 किलोमीटर ऊपर ये बैलून गोता खाते रहे। बाद में इन बैलून के जमा किए गए नमूनों को टेस्ट के लिए भेजा गया। हैदराबाद के मॉलिक्युलर बायोलॉजी सेंटर में टेस्ट करने पर इन नमूनों में तीन तरह के बैक्टीरिया पाए गए और इनमें जीवन के निशान मिले जिनकी बाद में पुणे स्थित नेशनल सेंटर फार सेल साइंस ने पुष्टि की। यहीं से वैज्ञानिकों का दिमा ग ठनका। आखिर धरती से ऊपर बैक्टीरिया का वजूद कैसे संभव है ?

 अल्ट्रावॉयलट रे की वजह से इतनी ऊंचाई पर बैक्टीरिया का होना तो नामुमकिन माना जाता है। फिर कहां से आ गए यहां बैक्टीरिया। इन्हीं सवालों ने एलियन के वजूद को फिर से दुनिया के सामने ला खड़ा किया। हालांकि इसरो ने इन तीनों बैक्टीरिया का नामकरण कर दिया है। पहले बैक्टीरिया का नाम इसरो के नाम पर बैसीलस इसरोनेसिस रखा गया है। जबकि दूसरे का नाम रखा गया आर्यभट्ट के नाम पर बैसीलस आर्यभट्ट। तीसरे बैक्टीरिया को जेनिफ र हॉएली के नाम से जाना जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर वही है कि ये बैक्टीरिया इतनी ऊंचाई पर पहुंचे कैसे। इसके जवाब में दो थ्योरी सामने आ रही हैं। पहला ये कि धरती के बाहर भी जीवन है और हो सकता है कि ये एलियन हों।

Isro and aliens proof

Posted by Raj Kumar

एलियन और नर्मदा की सैर

नर्मदा की सैर करने आते थे एलियन  होशंगाबाद।
नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के शैलाश्रयों में मिले प्राचीन शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी "एलियन" आए होंगे।


 संस्था का मानना है कि आदि मानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलाजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च , ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविद् मोहम्मद वसीम खान के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाडियों में मिले हैं।

 इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतश्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है, जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया संस्था के अनुसार प्रागैतिहासिक मानव अपने आस-पास नजर आने वाली चीजों को ही पहाड़ों की गुफाओं, कंदराओं में पत्थरों पर उकेरते थे। ऎसे में सम्भव है कि उन्होंने एलियन और उड़नतश्तरी को देखा हो।

 देखने के बाद ही उन्होंने इनके चित्र बनाए होंगे। रायसेन के पास मिले शैलचित्र आदिमानव के तत्कालीन जीवन शैली से भी मेल नहीं खाते। खान के अनुसार कुछ इसी तरह के चित्र भीम बैठका और रायसेन के फुलतरी गांव की घाटी में भी मिले हैं। सबसे बड़ा रहस्य दूसरे ग्रहों पर भी जीव होने के अनुमान के आधार पर दुनियाभर में एलियन के अस्तित्व पर शोध हो रहे हैं। विभिन्न देशों में कई बार दूसरे ग्रहों से आने वाली उड़नतश्तरी ( अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं।

 इसके अलावा, कई बार एलियन को भी देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर अब तक एलियन या उड़नतश्तरी का अस्तित्व साबित नहीं हो पाया है। और शोध की जरूरत इन शैलचित्रों ने शोध की नई और व्यापक सम्भावनाओं को जन्म दिया है। इनका मिलान विश्व के अनेक स्थानों पर मिले शैलचित्रों से भी किया जाएगा। खान का अनुमान है कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों का नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक मानव से कुछ न कुछ संबंध जरूर रहा है। यह संबंध किस प्रकार का था इस पर शोध जारी है। पुरासम्पदा का खजाना कुछ दशक पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. अरूण सोनकिया ने नर्मदाघाटी के हथनौरा गांव से अति प्राचीन मानव कपाल खोजा था। उसकी कार्बन आयु वैज्ञानिकों ने साढ़े तीन लाख वर्ष बताई है। नर्मदाघाटी का क्षेत्र कई पुरासम्पदाओं का खजाना माना जाता है।

Aliens and Narmada river

Posted by Raj Kumar

जब ऐसा होगा एलियंस बात करेंगी

एलियंस से बात करने के लिए धरती
Sep 27, 2010 नई दिल्ली।

एलियंस के किस्से लोंगो ने सुने और फिल्मों में देखें हैं। लेकिन हकीकत में अब तक एलियंस की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है। हालांकि कई वैज्ञानिक मानते हैं कि एलियंस का वजूद है और वो आज नहीं तो कल धरती पर आएंगे। जब वो आएंगे तो उनसे मलेशिया की वैज्ञानि क मजलान ओथमान बात करेंगी , क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें धरती का एलियंस एंबेसडर चुना है। 58 साल की एस्ट्रोफिजिशिस् ट ओथमान संयुक्त राष्ट्र के सहयोगी संगठन यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर ऑउटर स्पेस अफेयर्स की प्रमुख हैं।

उनका कहना है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक और संस्थान दूसरी दुनिया के लोगों की तलाश में जुटे हैं और उम्मीद है कि एक दिन ऐसा होगा जब हमें दूसरी दुनिया से कोई संकेत मिलेगा। जब ऐसा होगा, उस दिन के लिए हमें अपनी तैयारी करके रखनी होगी। ओथमान इससे पहले मलेशिया के नेशनल स्पेस एजेंसी की मुखिया थी और अंतरिक्ष में जाने वाली मलेशिया की पहली महिला हैं। दुनिया के कई वैज्ञानिक एलियंस के होने और उनके धरती तक पहुंचने की कल्पना कर चुके हैं। इस दौर के सबसे बड़े वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भी मानते हैं कि एलियंस हैं और धरती पर आ सकते हैं।

हॉकिंग का कहना है कि मेरे दिमाग की गणनाएं बताती हैं कि एलियंस हैं लेकिन असल चुनौती ये जानने की है कि एलियंस दिखते कैसे हैं। जहां तक मेरा मानना है कि अगर कभी एलियंस धरती पर आए तो उनका बर्ताव इतना दोस्ताना नहीं होगा जितनी कि उम्मी द है। हॉकिंग का कहना है कि ज्यादातर एलियंस या तो माइक्रोब्स की तरह या फिर बेहद छोटे जानवरों जैसे हो सकते हैं। हॉकिंग ये चेतावनी देते हैं कि धरती के वैज्ञानिकों को दिमा गदार एलियंस से संपर्क करने से बचना होगा क्योंकि वो धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

कई सालों की रिसर्च और पड़ताल के बाद वैज्ञानिक ये तो मानते हैं कि एलियंस हो सकते हैं लेकिन पुख्ता तौर पर उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। वैज्ञानिक को कहना है कि एलियंस हमसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा है। एलियंस धरती पर इंसान से संपर्क स्थापित करने के लिए दशकों से 'कॉस्मिक ट्वीट्स' भेज रहे हैं। 15 अगस्त 1977 को ओहियो स्थित एक दूरबीन ने 72 सेकंड का एक महत्वपूर्ण संकेत पकड़ा था। ये संकेत अंतरिक्ष के एक खाली हिस्से से ठीक उसी फ्रीक्वेंसी पर आया था जिस पर वैज्ञानिक एलियंस से संदेश मिलने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन आज तक इस संकेत का मतलब नहीं निकाला जा सका। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि एलियंस इंसानों के मुकाबले ज्यादा बुद्धिमान हैं और तकनीकी तौर पर बेहद ताकतवर भी हैं। स्पेन और अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि एलियंस अपनी ताकतवर दूसबीनों से पृथ्वी पर नजर रख रहे हैं।

उन्हें पृथ्वी के घूमने की गति , दिन की लंबाई, मौसम चक्र, महासागरों, महाद्वीपों और बादलों की जानकारी हैँ। तमाम रिसर्च और अध्ययन के बाद भी दुनिया भर के वैज्ञानिक ये तक नहीं पता लगा पाए कि ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा कहीं और जीवन है या नहीं। एलियंस का वजूद साबित करने के लिए अब तक हजारों दावे किए जा चुके हैं , लेकिन सच सही है कि आज तक एलियन तो दूर , कोई यूएफओ तक किसी के हाथ नहीं लगा है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि एलियंस पूरी तौर पर इंसान दिमाग की कल्पना है और इसमें कोई हकीकत नहीं है। हालांकि कई बड़े वैज्ञानिक इसे खारिज करते हैं। उनका कहना है कि अंतरिक्ष में होने वाली कई गतिविधियां दूसरी दु निया के वजूद को साबित करती हैं। कुल मिलाकर कहें तो एलियंस की मौजूदगी तब तक सवालों के घेरे में है जब तक वो पूरी तौर पर दुनिया के सामने नहीं आते।

Who will talk with Aliens?

Posted by Raj Kumar

एलियंस और कुछ अनसुलझी पहेलियाँ

एलियंस और कुछ अनसुलझी पहेलियाँ

अमेरिका सेटी यानी search for extra tairistril intelizens जैसे स्वायत समूह संगठनों की मदद से गत कई वर्षो से एलियंस की खोज मे लगे हैँ उनका कहना है की जूपिटर के बर्फ से ढके उपग्रह यूरोप को ध्यान मे रखकर कहा जा सकता है कि ज्यादातर ग्रहोँ पर जीवन साधारण जीवोँ के रूप मे होगा हो सकता है कि कुछ ग्रहोँ पर जीव हमसे बुद्धिमान हो और अपने संसाधनोँ का यूज कर चुके हो ऐसे मे ये माना छा सकता है कि वे धरती जैसे किसी ग्रह की तलाश मे होंगे अगर उन्हेँ पता चलता है तो वे हम पर हमला कर सकते है

Aliens our usse judi pheliya

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016
Posted by Raj Kumar
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एलियंस संबंधी रहस्य, सावधान और चेतावनी

सावधान हो जाओ !!!
महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग की हालिया चेतावनी कि मानव जाति को एलियंस या किसी अन्य ग्रहवासियों से दूर ही रहना चाहिए, अपने आप में वैज्ञानिक जगत में एक विचारणीय पहेली के तौर पर गूंज गई है। हॉकिंग के विचारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह भी सच है कि मनुष्य हमेशा से ही अज्ञात की खोज करना अपना अधिकार समझता आया है।

तमाम वैज्ञानिक खोजें इसी कौतुहल के गर्भ से निकल कर सामने आई हैं, इसलिए उसे रोका तो कतई नहीं जा सकता। उड़नतश्तरियों के जब-तब सुनाई देने वाले किस्से, इसी कौतुहल की एक कड़ी रहे हैं और एलियंस की खोज में होने वाले खर्च और उनकी कपोल कल्पित जीवन पर बनी फिल्में भी इसी कौतुहल का हिस्सा रही हैं, जिन्हें लोग असलियत से जोड़ बैठते हैं। आज पढ़िए एलियंस संबंधी रहस्यों के बारे में मशहूर भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने यह कहकर कि सुदूर अंतरिक्ष में एलियंस जरूर हैं।

हॉकिंग ने चेतावनी दी है कि हमें एलियंस को खोजने के बजाए उनसे दूर ही रहना चाहिए। धरती के लिए यही सही होगा। क्या है धारणा का आधार: हॉकिंग का तर्क है कि ब्रह्मांड में खरबों आकाशगंगाएं हैं और हर आकाशगंगा में करोड़ों तारे, ग्रह और उपग्रह हैं। ऐसे में केवल पृथ्वी पर ही जीवन है, यह कहना सही नहीं होगा। जीवन किसी उपग्रह या ग्रह कहीं भी हो सकता है। धरती पर ही सबूत मिल चुके हैं कि जीवन उबलते पानी और जमी हुई बर्फ में भी हो सकता है।

हॉकिंग कहते हैं कि असल चुनौती यह जानना है कि एलियंस दिखते कैसे हैं? अमेरिका सेटी यानी सर्च फॉर एक्स्ट्रा टैरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस जैसे स्वायत्त सामूहिक संगठनों की मदद से गत कई वर्षो से एलियंस की खोज में लगा है। उन्होंने कहा कि जूपिटर के बर्फ से ढके उपग्रह यूरोपा को ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि ज्यादातर ग्रहों पर जीवन साधारण जीवों के रूप में होगा। हो सकता है कि कुछ ग्रहों पर जीव हमसे बुद्धिमान हो। अगर ऐसा है तो वो अपने स्रोतों का उपयोग भी कर चुके होंगे। ऐसे में इस बात को माना जा सकता है कि वे धरती जैसे किसी ग्रह की खोज में लगे होंगे। और हां, अगर उन्हें पता चलता है तो इस पर कब्जे के लिए हमला बोल देंगे। हॉकिंग का कहना है कि एलियंस तारों के बीच भी हो सकते हैं या हो सकता है कि वे स्पेस में घूम रहे हो

Do we have to worry about Aliens?

Posted by Raj Kumar

एलियंस की खोज के लिए सेना

Friday, October 30, 2009 01:39 [IST]

वाशिंगटन. वैज्ञानिक ऐसे रोबोट तैयार करने में जुटे हैं , जो अन्य रोबोटों को आदेश दे सकें। यदि यह संभव हुआ तो उड़ान भरने , वाहन और जलयान चलाने वाले रोबोट की सेनाएं तैयार कर दूसरी दुनिया के प्राणी यानी एलियंस पता लगाया जा सकेगा।

कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैल- टेक) के प्रमुख शोधकर्ता वोल्फगांग फिंक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं , जिससे रोबोटिक उपकरण स्वतंत्र रूप से काम करने के साथ टीम के सदस्य के रूप में भी काम कर सकेगा। फिंक ने कहा कि हम अंतरिक्ष खोज के बड़े बदलाव के दौर में हैं।

इसमें रोबोटिक खोजकर्ता उन चीजों का पता लगाएंगे, जिससे हम आज तक रू-ब- रू नहीं हुए हैं। ‘कंप्यूटर मेथड्स एंड प्रोग्राम्स इन बायोमेडिसिन’ और ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ एसपीआईई’ में प्रकाशित रिपोर्ट में फिंक ने कहा, आने वाले कल की खोज आज से बिल्कुल भिन्न होगी।

कैल -टेक के विजुअल एंड आटोनॉमस एक्सप्लोरेशन सिस्टम्स रिसर्च लेबोरेटरी के निदेशक फिंक के मुताबिक , वर्तमान में रोबोट के जरिए की जाने वाली खोज में हर रोबोट को धरती से नियंत्रित किया जाता है। लेकिन, भविष्य में यह काम कई रोबोट मिलकर खुद करेंगे।

Aliens and Cops

Posted by Raj Kumar

एलियंस द्वारा भेजा गया ई मेल

एलियंस द्वारा भेजा गया e-mail(सत्य)



संशोधनों के बाद इस ई -मेल को मैं आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। प्रिय बंधु हमें धरती पर रह रहे मनुष्यों की हर पल की खोज -खबर रहती है। वे कब और किसके साथ क्या कर रहे हैं , हमें सब पता रहता है। राजनीति से लेकर साहित्य , समाज से लेकर सरोकारों तक में क्या हो -चल रहा है हमें मालूम है ।

हमेशा से ही मनुष्य इस बात पर गर्व करता चला आया है कि वो धरती का सबसे समझदार प्राणी है। दुनिया भर की सारी अक्ल बस उसी के पास है। जो वो करता है सब अक्ल के हिसाब - किताब के साथ करता है। पर हम इसे नहीं मानते। हम मानते हैं कि धरती पर मनुष्य केवल बोझ है। उसने धरती की आत्मा को तहस- नहस कर दिया है। जब कभी हम धरती के रोने की सुगबुगाहट को सुनते हैं उसमें मनुष्य के खिलाफ ही संताप होता है। हम अपने ग्रह से देख रहे हैं कि आजकल आप मनुष्यों के बीच जातिगत जनगणना पर हाय -तौबा मची है। सरकार चाहती है कि जनगणना जाति के हिसाब से हो। सरकार के सुर में बहुत से दल अपने सुर भी मिलाने लगे हैं। यानी धरती पर मनुष्य के आधार को एक दफा फिर से जातिवाद आधारित बनाया जा रहा है। यकीन मानिए हम सरकार व अन्य राजनीतिक दलों के इस फैसले से बेहद आहत हैं।

केवल जाति के बल पर समाज को आप किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ? जबकि 21वीं सदी में रहते हुए तमाम जातिगत बंधनों को आपको तोड़ डालना चाहिए था। धरती के मनुष्य का यह कैसा समाज है , जहां लोग भिन्न- भिन्न जातियों, संप्रदायों, धर्मों और रूढ़िवादिताओं में बंटे -बंधे हुए हैं? आपको ये जातिगत बंधन बोझ नहीं लगते ? क्या आप इससे परेशान नहीं होते ? हमने सुन रखा है कि धरती पर जातियों की आत्मा को इसलिए जीवित रखा जाता है ताकि राजनीतिक दलों के राजनीतिक हित -अहित सध सकें। आखिर आपका यह कैसा आधुनिक या उत्तर -आधुनिक समाज है, जो आज भी जातियों में विभक्त है ? माना कि हम एलियंस मनुष्य नहीं हैं। हम न आप जैसा खाते हैं न आप जैसे रहते हैं। हमारा रूप -रंग, चाल- ढाल सबकुछ आपसे जुदा है। बावजूद इसके हमारी कोई जाति नहीं है। हमारा एलियंस समाज जातिविहीन समाज है। हम लोग जाति से ज्यादा एकता और संवेदनाओं में विश्वास करते हैं।



आप यकीन नहीं करेंगे पर यह सच है कि हमारा समाज आपके समाज से कहीं ज्यादा आधुनिक और सभ्य है। हमारी तकनीक तक पहुंचने में आपको बरसों-बरस लग सकते हैं। जो वैज्ञानिक यह दावा करते हैं कि हम मनुष्य जाति या धरती के लिए अभिशाप हैं , हम इसका पुरजोर खंडन करते हैं। हां, यह बात सच है कि हम धरती पर आने का मन बना रहे हैं। हम धरती के प्राणी से मिलने - जुलने की हसरत रखते हैं। लेकिन अब हमें अपने फैसले पर पुनः विचार करना पड़ेगा क्योंकि एक घोर जातिवादी समाज और मनुष्यों के बीच हमारा रहना या आना संभव नहीं होगा। हम धरती पर आने की तब ही सोच सकते हैं , जब यहां से जातियों का पूर्णतः खात्मा हो जाए। दरअसल, इस ई-मेल के जरिए अपनी इसी बात या इच्छा को आप तक पहुंचाना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य था। बाकी आप पर। शेष मजे में। आपका शुभचिंतन एलियंस समाज
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एलियंस, हमारा ज्ञान और सूचना क्रांति

टोरंटो 04 मई 2010

(एआईएनएस) ।
प्रख्यात खगोलशास्त्री स्टीफन हॉकिंस के "एलियंस" के खतरनाक होने के बयान की आलोचना करते हुए कनाडा के पूर्व रक्षा मंत्री पॉल हेलर ने रविवार को दावा किया कि दूसरे ग्रहों के निवासी दशकों से धरती पर आते रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि हमें नुकसान पहुंचाने के बजाय एलियंस के अंतरिक्षयानों ने हमें माइक्रोचिप की खोज करने और सूचना क्रांति लाने में मदद की है। हॉकिन्स ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कहा था कि,
""यदि एलियन यहां आएं तो परिणाम उससे कहीं ज्यादा होगा जो किकोलंबस के अमेरिका पहुंचनेपर हुआ था। यह अमेरिका के मूल निवासियों के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ।"" हॉकिन्स ने कहा था कि यदि इंसान
एलियंस से संपर्क की कोशिश करते हैं तो वे हमें हमारे संसाधनों से बेदखल कर सकते हैं।

हॉकिन्स ने एक लघु फिल्म के जरिए कहा था कि , ""एलियंस अपनी किसी महायोजना के जरिए हमारे सौर मंडल का उपयोग कर सकते हैं और हमारी शिकायत चीटियों की टोली की शिकायत के समान होगी।""
हॉकिंस ने कहा था कि दूसरे ग्रहों के निवासी छोटे जानवरों के रूप में हो सकते हैं, लेकिन
यह भी संभावना है कि वे खानाबदोश तथा उपनिवेश बनाने के लिए जीत की इच्छा रखने वाले भी हो सकते हैं। हेलर ने कनाडियन प्रेस से कहा कि असलियत यह है कि एलियंस दशकों और संभावित रूप से सदियों से धरती पर आते रहे हैं।

उन्होंने हमारा ज्ञान बढ़ाने में मदद की है। एलियंस से जु़डे विषयों के जानकार कनाडाई पूर्व रक्षा मंत्री ने हॉकिंस के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि एलियंस हमेशा धरती पर आते रहे हैं और उन्होंने हमारे तकनीकी विकास में योगदान दिया है.
Posted by Raj Kumar

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