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- एलियंस द्वारा भेजा गया ई मेल
Posted by : Raj Kumar
शुक्रवार, 8 जनवरी 2016
एलियंस द्वारा भेजा गया e-mail(सत्य)
संशोधनों के बाद इस ई -मेल को मैं आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। प्रिय बंधु हमें धरती पर रह रहे मनुष्यों की हर पल की खोज -खबर रहती है। वे कब और किसके साथ क्या कर रहे हैं , हमें सब पता रहता है। राजनीति से लेकर साहित्य , समाज से लेकर सरोकारों तक में क्या हो -चल रहा है हमें मालूम है ।
हमेशा से ही मनुष्य इस बात पर गर्व करता चला आया है कि वो धरती का सबसे समझदार प्राणी है। दुनिया भर की सारी अक्ल बस उसी के पास है। जो वो करता है सब अक्ल के हिसाब - किताब के साथ करता है। पर हम इसे नहीं मानते। हम मानते हैं कि धरती पर मनुष्य केवल बोझ है। उसने धरती की आत्मा को तहस- नहस कर दिया है। जब कभी हम धरती के रोने की सुगबुगाहट को सुनते हैं उसमें मनुष्य के खिलाफ ही संताप होता है। हम अपने ग्रह से देख रहे हैं कि आजकल आप मनुष्यों के बीच जातिगत जनगणना पर हाय -तौबा मची है। सरकार चाहती है कि जनगणना जाति के हिसाब से हो। सरकार के सुर में बहुत से दल अपने सुर भी मिलाने लगे हैं। यानी धरती पर मनुष्य के आधार को एक दफा फिर से जातिवाद आधारित बनाया जा रहा है। यकीन मानिए हम सरकार व अन्य राजनीतिक दलों के इस फैसले से बेहद आहत हैं।
केवल जाति के बल पर समाज को आप किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ? जबकि 21वीं सदी में रहते हुए तमाम जातिगत बंधनों को आपको तोड़ डालना चाहिए था। धरती के मनुष्य का यह कैसा समाज है , जहां लोग भिन्न- भिन्न जातियों, संप्रदायों, धर्मों और रूढ़िवादिताओं में बंटे -बंधे हुए हैं? आपको ये जातिगत बंधन बोझ नहीं लगते ? क्या आप इससे परेशान नहीं होते ? हमने सुन रखा है कि धरती पर जातियों की आत्मा को इसलिए जीवित रखा जाता है ताकि राजनीतिक दलों के राजनीतिक हित -अहित सध सकें। आखिर आपका यह कैसा आधुनिक या उत्तर -आधुनिक समाज है, जो आज भी जातियों में विभक्त है ? माना कि हम एलियंस मनुष्य नहीं हैं। हम न आप जैसा खाते हैं न आप जैसे रहते हैं। हमारा रूप -रंग, चाल- ढाल सबकुछ आपसे जुदा है। बावजूद इसके हमारी कोई जाति नहीं है। हमारा एलियंस समाज जातिविहीन समाज है। हम लोग जाति से ज्यादा एकता और संवेदनाओं में विश्वास करते हैं।
आप यकीन नहीं करेंगे पर यह सच है कि हमारा समाज आपके समाज से कहीं ज्यादा आधुनिक और सभ्य है। हमारी तकनीक तक पहुंचने में आपको बरसों-बरस लग सकते हैं। जो वैज्ञानिक यह दावा करते हैं कि हम मनुष्य जाति या धरती के लिए अभिशाप हैं , हम इसका पुरजोर खंडन करते हैं। हां, यह बात सच है कि हम धरती पर आने का मन बना रहे हैं। हम धरती के प्राणी से मिलने - जुलने की हसरत रखते हैं। लेकिन अब हमें अपने फैसले पर पुनः विचार करना पड़ेगा क्योंकि एक घोर जातिवादी समाज और मनुष्यों के बीच हमारा रहना या आना संभव नहीं होगा। हम धरती पर आने की तब ही सोच सकते हैं , जब यहां से जातियों का पूर्णतः खात्मा हो जाए। दरअसल, इस ई-मेल के जरिए अपनी इसी बात या इच्छा को आप तक पहुंचाना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य था। बाकी आप पर। शेष मजे में। आपका शुभचिंतन एलियंस समाज
संशोधनों के बाद इस ई -मेल को मैं आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। प्रिय बंधु हमें धरती पर रह रहे मनुष्यों की हर पल की खोज -खबर रहती है। वे कब और किसके साथ क्या कर रहे हैं , हमें सब पता रहता है। राजनीति से लेकर साहित्य , समाज से लेकर सरोकारों तक में क्या हो -चल रहा है हमें मालूम है ।
हमेशा से ही मनुष्य इस बात पर गर्व करता चला आया है कि वो धरती का सबसे समझदार प्राणी है। दुनिया भर की सारी अक्ल बस उसी के पास है। जो वो करता है सब अक्ल के हिसाब - किताब के साथ करता है। पर हम इसे नहीं मानते। हम मानते हैं कि धरती पर मनुष्य केवल बोझ है। उसने धरती की आत्मा को तहस- नहस कर दिया है। जब कभी हम धरती के रोने की सुगबुगाहट को सुनते हैं उसमें मनुष्य के खिलाफ ही संताप होता है। हम अपने ग्रह से देख रहे हैं कि आजकल आप मनुष्यों के बीच जातिगत जनगणना पर हाय -तौबा मची है। सरकार चाहती है कि जनगणना जाति के हिसाब से हो। सरकार के सुर में बहुत से दल अपने सुर भी मिलाने लगे हैं। यानी धरती पर मनुष्य के आधार को एक दफा फिर से जातिवाद आधारित बनाया जा रहा है। यकीन मानिए हम सरकार व अन्य राजनीतिक दलों के इस फैसले से बेहद आहत हैं।
केवल जाति के बल पर समाज को आप किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ? जबकि 21वीं सदी में रहते हुए तमाम जातिगत बंधनों को आपको तोड़ डालना चाहिए था। धरती के मनुष्य का यह कैसा समाज है , जहां लोग भिन्न- भिन्न जातियों, संप्रदायों, धर्मों और रूढ़िवादिताओं में बंटे -बंधे हुए हैं? आपको ये जातिगत बंधन बोझ नहीं लगते ? क्या आप इससे परेशान नहीं होते ? हमने सुन रखा है कि धरती पर जातियों की आत्मा को इसलिए जीवित रखा जाता है ताकि राजनीतिक दलों के राजनीतिक हित -अहित सध सकें। आखिर आपका यह कैसा आधुनिक या उत्तर -आधुनिक समाज है, जो आज भी जातियों में विभक्त है ? माना कि हम एलियंस मनुष्य नहीं हैं। हम न आप जैसा खाते हैं न आप जैसे रहते हैं। हमारा रूप -रंग, चाल- ढाल सबकुछ आपसे जुदा है। बावजूद इसके हमारी कोई जाति नहीं है। हमारा एलियंस समाज जातिविहीन समाज है। हम लोग जाति से ज्यादा एकता और संवेदनाओं में विश्वास करते हैं।
आप यकीन नहीं करेंगे पर यह सच है कि हमारा समाज आपके समाज से कहीं ज्यादा आधुनिक और सभ्य है। हमारी तकनीक तक पहुंचने में आपको बरसों-बरस लग सकते हैं। जो वैज्ञानिक यह दावा करते हैं कि हम मनुष्य जाति या धरती के लिए अभिशाप हैं , हम इसका पुरजोर खंडन करते हैं। हां, यह बात सच है कि हम धरती पर आने का मन बना रहे हैं। हम धरती के प्राणी से मिलने - जुलने की हसरत रखते हैं। लेकिन अब हमें अपने फैसले पर पुनः विचार करना पड़ेगा क्योंकि एक घोर जातिवादी समाज और मनुष्यों के बीच हमारा रहना या आना संभव नहीं होगा। हम धरती पर आने की तब ही सोच सकते हैं , जब यहां से जातियों का पूर्णतः खात्मा हो जाए। दरअसल, इस ई-मेल के जरिए अपनी इसी बात या इच्छा को आप तक पहुंचाना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य था। बाकी आप पर। शेष मजे में। आपका शुभचिंतन एलियंस समाज